(This post is about ShreeNathji Haveli at Nathdwara. It is a dialogue between Thakurjee ShreeNathji and this humble bhakt Abha Shahra, where He describes the facts which have caused Him to be upset and sad. Similar to the other Live interactions,this too is a divine writing)
श्रीनाथजी आज ग़ुस्से में बहुत सी शिकायत करते हैं.. श्रीजी, “देख, देख, मेरी हवेली की क्या हालत करी है इन लोगों ने. तोड़ फोड़ के रख दिया है, आभा शाहरा श्यामॉ..”
ShreeNathji – His “LIVE” interactions varta in today’s time period.
नवरात्रि चल रही है. श्रीनाथजी दर्शन के लिए हम नाथद्वारा आए हैं.
और जैसे की हमारा नियम है, सुबह शंखनाद के पहले श्रीजी के दरवाज़े के बाहर खड़े होते हैं. हम सुबह ४.१५ बजे मंगला दर्शन के लिए पीछे के द्वार ‘प्रीतम पोली’ के बाहर खड़े हैं.
श्रीजी हमारे साथ हैं और यहीं खड़े हैं, “देख, देख, मेरी हवेली की क्या हालत करी है इन लोगों ने. तोड़ फोड़ के रख दिया है. अंदर और बाहर से ठीक करने के नाम पे सब तोड़ दिया, फिर ऐसे ही छोड़ दिया. आभा शाहरा श्यामॉ, बाद में तेरा फ़ोन लेकर आना और दो चार फ़ोटू लेकर छाप देना. लिखना की श्रीजी बहुत नाराज़ हैं, क्या मालूम कब किसको सज़ा देंगे.”
“मैं नाथद्वारा छोड़कर निकलने वाला तो हूँ, मैंने बहुत दया दिखा के इतने समय से माफ़ करता रहा. लेकिन यह लोग समझने को तय्यार ही नहीं है. देश के बाहर जाकर पेंसिलवेनिया (Pensilvania) जैसी जगहों में बड़ी बड़ी हवेली बना रहे हैं ख़ुद के लिए और यहाँ जिस जगह “मैं” ख़ुद रहता हूँ उसे तोड़ फोड़ कर रख दिया है”.
(बहुत समय से यहाँ के अधिकारियों ने हवेली की दीवार तोड़ कर रखी है, आगे के द्वार पर और यहाँ पीछे के द्वार पर भी. यहाँ से अन्दर भी जब जाते हैं, तो पूरा रास्ता टूटा हुआ है, ऐसा लगता है हमेशा मुझे की यहाँ श्रीजी की किसी को फ़िक्र ही नहीं है. लोगों ने इसी बाहर की दीवार पर पान के छींटे भी थूके हैं.
कभी भी इस दीवार या दरवाज़े की सफ़ाई नहीं होती है. पुरानी सुखी माला यूँ ही टँगी हुई हैं. एक बहुत बड़ी बिल्डिंग हवेली से लगकर बना रहे हैं, लेकिन ना वो पूर्ण हुई, ना श्रीनाथजी की हवेली की मरम्मत करी गयी.
ईश्वर, ठाकुरजी का जहाँ साक्षात निवास है, मेरे लिए यह देखना हर बार, एक बहुत ही दुखदायक नज़ारा है.
ख़ुदगर्ज़ी ने सबकी आँख पर यह कैसा लालच का पर्दा डाल दिया है?
तिलकायत हों, बालक हों, सेवक हों, भक्त हों, या रक्षक हों, सभी श्रीजी को लूटने पर तुले हैं, यह सच्चाई बहुत ही अच्छी तरह बार बार श्रीनाथजी ठाकुरजी हमें अक्सर बताते है).
श्रीजी आगे कहते हैं, “और तूने भी देखा होगा, अंदर मेरे सेवक लोग जो “मेरा” काम करते हैं, कैसे हर समय अपने मुँह में गुटका और तम्बाकू चबाते हैं. ऐसे कोई सेवा करता है क्या? मंदिर के अधिकारी और बावाश्री भी अनदेखा करते हैं. पवित्रता कहाँ है”?
श्रीजी आदेश देते हैं, “आभा शाहरा श्यामॉ, तू जब मेरी हवेली के दरवाज़े का फ़ोटू लेगी तो साथ में मेरे दर्शन समय के बोर्ड का भी लेना. देख, मुझे इन लोगों ने बाँध दिया समय के लिए. मेरे गुसाँईजी ने मेरी सुविधा के लिए हमेशा १५ मिनट का समय रखा था, दर्शन खुलने में. इसलिए की कभी भी मैं अगर बाहर घूमने निकल गया तो मुझे १५ मिनट का समय मिले मंदिर वापस आने के लिए. अब मैं क्या करूँगा”?
( दर्शन के समय हमेशा से १५ मिनट के दायरे में होते थे, जैसे की; ५-५.१५, ७.१५-७.३०, ३.३०-३-४५. कभी भी एक बँधा समय नहीं होता था. जो नाथद्वारा जाते रहते हैं, उन्हें यह मालूम होना चाहिए. श्रीजी को हमेशा से १५ मिनट का समय दिया जाता है मंदिर वापस पधारने के लिए. यह नियम श्री गुसाँई जी ने शुरू करा था, श्रीजी की सुविधा के लिए. भाव है की अगर श्रीजी कहीं खेलने गए हों तो उन्हें श्रम ना हो भाग कर मंदिर वापिस आने के लिए, श्रीनाथजी प्राकट्य वार्ता में इस का ज़िक्र आता है).
आज्ञा अनुसार मैंने फ़ोटो ले लिए. फिर आगे मुख्य द्वार, लाल दरवाज़े पर भी गए, वहाँ भी बोर्ड पर दर्शन समय बाँध दिया था. और यहाँ भी परिसर कितनी ख़राब हालत में है, यह सभी भक्त जानते हैं.
कुछ फ़ोटो इस पोस्ट के साथ रखी हैं, देखिए, सोचिए, समझने की कोशिश करिए.
हम लोग क्या वाक़ई में श्रीनाथजी की भक्ति और प्रेम करते हैं, या फिर सिर्फ़ अपनी ज़रूरत पूरी करने ठाकुरजी के मंदिर तक जाते हैं?
श्रीजी की सेवा में, उनकी आज्ञा से,
आभा शाहरा श्यामॉ
Imagine the most powerful divine Shakti SHREENATHJI “Lives” here. WHERE ARE THE AUTHORITIES WHO ARE SUPPOSED TO TAKE CARE OF THE HAVELI AND SHREENATHJI WHOM THE ENTIRE NATHDWARA BELONGS TO.
What would the earliest sevaks Shri Vallabh Acharya and Shri Gusainji have done to these sevaks who do seva with such impure bhao?
Jai Shree Krishn 🙏
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