ShreeNathji left Bhuja Pragaty from Shri Govardhan

श्रीनाथजी का 1409 ईसवी में गिरिराज गोवर्धन से प्रकटीकरण 🙏🙏
(आज श्रावण शुक्ल पंचमी के शुभ दिवस पर श्रीजी की वाम भुजा दर्शन का विवरण)

श्रीनाथजी के रुप में श्रीराधाकृष्ण के मूल स्वरुप का प्रकटीकरण, प्रारंभिक रुप से उनकी अलौकिक भुजा का प्रकटीकरण, 1409 ईसवी (संवत 1466) में श्रावण वद त्रितीया को श्रवण नक्षत्र में रविवार को हुआ था।
जय श्री राधेकृष्ण 🙏

जब इनका प्रकटीकरण गिरिराज गोवर्धन से हुआ तब श्रीनाथजी की बायीं भुजा पर श्री राधाकृष्ण के सभी मांगलिक चिन्ह भी प्रकट हुए, इसमें श्री और स्वास्तिक का मांगलिक चिन्ह सम्मिलित है। श्री राधाकृष्ण की मूल शक्तियां हमें आशीर्वाद देने के लिए लगभग 5236 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद गिरिराज गोवर्धन से दृष्टिगत हुयीं।

यह उनके नए विलयित स्वरुप में दिव्य श्रीनाथजी के स्वरुप में हमारे सामने आयीं।

श्री कृष्ण ने इंद्र देव के अहंकार को नष्ट कर दिया एवं विश्व के समक्ष यह प्रदर्शित किया कि वह सर्वोच्च शक्तिमान हैं।
श्री कृष्ण का यह स्वरुप गोवर्धन लीला के समापन के पश्चात वापस गिरिराजजी पर स्थापित हो गया। इस प्रसिद्ध वार्ता को हिंदुओं के सभी पवित्र पुस्तकों में वर्णित किया गया है।

कलियुग में श्रीनाथजी के प्रकट होने की भविष्यवाणी का विवरण पवित्र ग्रंथ गर्ग संहिता के गिरिराज खंड में पहले ही प्रस्तुत किया गया है।
महर्षि गर्गाचार्य जी ने हजारों वर्ष पूर्व रचित गर्गसंहिता में गिरिराज खंड का भविष्य लिखा था कि कलयुग में श्री कृष्ण यहाँ प्रकट हुआ।

‘‘कलियुग के 4800 वर्षों के बाद सभी लोग यह देखेंगे कि श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत की कंदरा से निकलेंगे एवं श्रृंगार मंडल पर अपने लोकोत्तर स्वरुप का प्रदर्शन करेंगे। सभी भक्त कृष्ण के इस स्वरुप को श्रीनाथ पुकारेंगे। वह सदैव ही लीला में लीन रहेंगे एवं श्री गोवर्धन पर क्रीड़ा करेंगे”

विक्रम संवत 1466 को श्री गोवर्धननाथ का प्राकट्य श्री गिरिराज पर्वत (गोवर्धन) पर हुआ।
यह वही स्वरूप था जिस स्वरूप से प्रभु श्री कृष्ण ने इन्द्र का मान-मर्दन करने के लिए व्रजवासियों की पूजा स्वीकार की और अन्नकूट की सामग्री आरोगी थी।

श्री गोवर्धननाथजी के सम्पूर्ण स्वरूप का प्राकट्य एक साथ नहीं हुआ था पहले वाम भुजा का प्राकट्य हुआ, 🙏फिर मुखारविन्द का 🙏और कुछ समय पश्चात सम्पूर्ण स्वरूप का प्राकट्य हुआ🙏🙏

।।ऊर्ध्‍व भुजा को प्रगट्य।।
(ऊर्ध्‍व भुजा का प्रकटीकरण)

एक व्रजवासी गिरिराज पर अपनी गाय की खोज में गया, जहां पर उसे सबसे पहले इस अलौकिक भुजा का दर्शन हुआ। उसे बहुत आश्चर्य हुआ, क्योंकि इसके पहले उसे ऐसा दर्शन कभी नहीं हुआ था।
इसलिए वह कुछ अन्य व्रजवासियों को उसका चमत्कार दिखाने के लिए वहां पर ले गया। उन सभी लोगों को दर्शन हुआ और उन लोगों ने यह अनुमान लगाया कि यह कोई देवता है जो गिरिराज से प्रकट हुआ है।

एक वृद्ध व्रजवासी ने यह विचार व्यक्त किया कि यह निश्चित रुप से श्रीकृष्ण का कोई स्वरुप है, जिन्होंने 7 दिनो तक श्री गिरिराज को उठाया था।🙇🏻‍♀️🙇🏻‍♀️
एक बार जब वर्षा बंद हो गयी, तब गिरिराजजी वापस पृथ्वी में चले गए। सभी व्रजवासियों ने इस भुजा का पूजन किया और उन्हें यह विश्वास हो गया यह निश्चित रुप से उसी समय की भुजा है।🙏🙏
प्रभु श्रीकृष्ण नीचे के केंद्र (खोह) में विश्राम करते हैं और उन्होंने उसी ऊध्र्व भुजा का एक बार पुनः दर्शन कराया है।
उन लोगों ने यह निष्कर्ष निकाला कि उन्हें इसका उत्खनन करने का प्रयास करने के विषय में नहीं सोचना चाहिए और न ही उनके दैवीय स्वरुप को निकालने का प्रयास करना चाहिए।
क्योंकि उनकी जब भी इच्छा होती है, तब वह हमें पूर्ण दर्शन प्रदान करते हैं। तब तक आइए हम ऊध्र्व भुजा की उपासना करें। (इस कथा का विस्तृत विवरण दुग्धपान चरित्र में पाया गया है)

व्रजवासियों ने विचार-विमर्श करके यह निर्णय लिया कि उस अलौकिक भुजा को दुग्ध से स्नान करा कर उस पर अक्षत, चंदन, पुष्प और तुलसी चढ़ाना चाहिए तथा उन्हें दही व फल का भोग लगाया गया।

यह दर्शन नाग पंचमी के दिन हुआ था, इसलिए प्रत्येक नाग पंचमी के अवसर पर कुछ व्रजवासी एकत्रित होकर मेले का आयोजन करते हैं। जब भी वे लोग किसी इच्छा की पूर्ति की कामना करते थे, तब वे यहां पर आकर उनको दुग्ध से स्नान कराते थे। इससे व्रजवासियों की सभी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती थी।
1478 ईसवी तक लगभग 69 वर्षों तक व्रजवासियों ने केवल दैवीय भुजा का पूजन किया। (संवत 1535)

इसी अवधि में श्री गोवर्धननाथजी उनकी लीला को पूर्ण करने की सभी सामग्रियों के साथ व्रज मंडल में गिरिराज जी से प्रकट हुए।
जय श्री गोवर्धन नाथ प्रभु 🙏🙏

जय श्री नाथ जी प्रभु 🙏🙏

Vraj Mandal Jhanki-Fulfil longing For Drishy of Divine Bhumi-3

Vraj Mandal Jhanki-Fulfil longing For Drishy of Divine Bhumi-3

(A part of 21 post series)

Entry to Divine Vraj Bhumi is prohibited due to Covid-19 pandemic.

I long to be there!

And I realise that similarly there must be 1000’s of bhakts who long to place foot in Vraj.

Divine Vraj Mandal is sakshat Golok 🙏

Just so all can have darshans of the Bhumi, I’ll try and post few from my collection of several yatras over the years. A kripa from the divine shaktis of Vraj bhumi🙏

Hope all bhakts enjoy them; a kripa from Shree Radha Herself, who is the original Divine Shakti 🙏

वह भव्य, दिव्य व्रज भूमि, जो साक्षात गोलोक है,

जब नेत्र और आत्म में शुद्धता होने से आलोकिकता महसूस होने लगे,

तो समझिए श्रीनाथजी, श्री राधा कृष्ण की कृपा बरस रही है 🙏

Jai Shree RadheKrishn 🙏

Jai ShreeNathji Prabhu 🙏

Jai Vraj Bhumi

Complete Vraj Album (made for Covid times) can be viewed here on Facebook too

https://www.facebook.com/pg/abhashahrashyama/photos/?tab=album&album_id=3511763468838954

Dhanyawad 🙏

ShreeNathji mandir on Giriraj Govardhan

Sadhu doing bhakti at Vrindavan Parikrama marg    

Shree Krishn Janm Bhumi, Mathura, Vraj Mandal

Divine Vraj Mandal

Babri sthan at Vrindavan

Shri Rup Goswami bhajan kuti at Radha kund

Radhe Krishn..Radhe Krishn  @ BanshiVat

Shri Yamunaji @ Vishram Ghat, Mathura

Peelu trees at Vraj Mandal

                                                      Divy Bhumi-Vraj Mandal

Madan Ter at Vrindavan

Shri Yamunaji at Kesi Ghat

                                                

Shri Gusainji Baithakji at Shyam Dhak, Shri Govardhan

                                       

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I love myself in this setting. It feels as if the peacocks from my dress have jumped out on Shri Govardhan around me

Vraj Mandal Jhanki-Fulfil longing For Drishy of Divine Bhumi-2

Vraj Mandal Jhanki-Fulfil longing For Drishy of Divine Bhumi-2

(A part of 21 post series)

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I long to be there!

And I realise that similarly there must be 1000’s of bhakts who long to place foot in Vraj.

Divine Vraj Mandal is sakshat Golok 🙏

Just so all can have darshans of the Bhumi, I’ll try and post few from my collection of several yatras over the years. A kripa from the divine shaktis of Vraj bhumi🙏

Hope all bhakts enjoy them; a kripa from Shree Radha Herself, who is the original Divine Shakti 🙏

वह भव्य, दिव्य व्रज भूमि, जो साक्षात गोलोक है,

जब नेत्र और आत्म में शुद्धता होने से आलोकिकता महसूस होने लगे,

तो समझिए श्रीनाथजी, श्री राधा कृष्ण की कृपा बरस रही है 🙏

Jai Shree RadheKrishn 🙏

Jai ShreeNathji Prabhu 🙏

Jai Vraj Bhumi

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Dhanyawad 🙏

जहाँ श्री राधा कृष्ण लीला में डूब जाने को मन, शरीर, आत्मा और दिल करे, वो व्रज धाम, श्रीनाथजी ठाकुरजी की प्रिय लीला भूमि;

The photo says it all! The divine land yatra is never complete without at least one photo with beloved gaumata — at Mahalakshmi Mandir, Belvan, Vrindavan.

The photo says it all! The divine land yatra is never complete without at least one photo with beloved gaumata — at Mahalakshmi Mandir, Belvan, Vrindavan.

A peacock witnessing five Neel Gai running through Govardhan — at Goverdhan Giriraji Tehaleti Jatipura Prikrama.

A peacock witnessing five Neel Gai running through Govardhan — at Goverdhan Giriraji Tehaleti Jatipura Prikrama.

Ter Kadamb, Nandgaon Ter Kadamba is located just 1.5 km from Nandgaon

Ter Kadamb is located just 1.5 km from Nandgaon and is quite secluded. So that retains the traditional vibe of Vraj Bhumi. It is the place where Shree Krishn plays bansuri to call His 900000 cows

Vraj Mandal photos

जहाँ श्री राधा कृष्ण लीला में डूब जाने को मन, शरीर, आत्मा और दिल करे, वो व्रज धाम, श्रीनाथजी ठाकुरजी की प्रिय लीला भूमि

Vraj Mandal-Gwal Pokhar or Gopal Kund

Gwal Pokhar or Gopal Kund, about 500 metres on the right side of Govardhan parikrama. It is a small Kund located near Shyam Kuti, Govardhan.Shree Krishn, during His Gocharan time would rest here in the afternoon.

Vraj Mandal photos

Bel Van, Peelu Tree

Radha-Shyam Kund

Tatiya sthan Vraj Mandal

Gokul

Pavitr Kadamb at Vrindavan

Pavitr Kadamb at Vrindavan

Vraj Mandal Jhanki-Fulfil longing for drishy of Divine bhumi-1

Vraj Bhumi – First Jhanki

(part of 21 post series)

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I long to be there!

And I realise that similarly there must be 1000’s of bhakts who long to place foot in Vraj.

Divine Vraj Mandal is sakshat Golok 🙏

Just so all can have darshans of the Bhumi, I’ll try and post few from my collection of several yatras over the years. A kripa from the divine shaktis of Vraj bhumi🙏

Hope all bhakts enjoy them; a kripa from Shree Radha Herself, who is the original Divine Shakti 🙏

वह भव्य, दिव्य व्रज भूमि, जो साक्षात गोलोक है,

जब नेत्र और आत्म में शुद्धता होने से आलोकिकता महसूस होने लगे,

तो समझिए श्रीनाथजी, श्री राधा कृष्ण की कृपा बरस रही है 🙏

Jai Shree RadheKrishn 🙏

Jai ShreeNathji Prabhu 🙏

Jai Vraj Bhumi

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Dhanyawad 🙏

Shree RadhaRani darshans as a baby at Rawal, Her birth place

Giriraj Govardhan at Vraj Mandal

Giriraj Govardhan at Vraj Mandal

A Golden Vraj Mandal, Jai Shree RadhaKrishn

A Golden Vraj Mandal

BanshiVat at Vrindavan

BanshiVat at Vrindavan, Shree RadhaKrishn MahaRaas Sthali

BhandirVan at Vraj Mandal

BhandirVan at Vraj Mandal, Shree RadhaKrishn Marriage place

Shree RadhaKrishn divine bhumi, Vraj Mandal

Beautiful Gaumata@Shree RadhaKrishn divine bhumi, Vraj Mandal

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Tulsi kyara at Vrinda Kund

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Madan Mohanji at Vrindavan

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Kaliya Deh at Vrindavan

Kaliya Deh at Vrindavan

GaharVan at Barsana

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Jai Shree RadheKrishn 🙏

Jai ShreeNathji Prabhu 🙏

A ‘selfie’ with Giriraj Govardhan

There is no other as ALIVE SPOT in Vraj Mandal as the divy 21 kms of Giriraj Govardhan parikrama marg; in our times.

It is a sthal of several sakshatkar and Shree Thakurjee anubhuti.

At any point on this parikrama marg, there are many Shilas (Girirajji stones are called Shila as they are divine) which have a divine feel about them. Shilas can appear and disappear as they are alive with the divine powers.

When there is the pavitrata and samarpan one can ‘feel’ the divine presence at several spots around this Divine Parvat, which has been the leela sthali for several Shree RadheKrishn and ShreeNathji divine leelas.

Jai ShreeNathji Prabhu 🙏

Jai Shree RadheKrishn 🙏

श्री गिरिराज गोवर्धन

श्रीनाथजी ठाकुरजी

एक selfie गिरिराज जी की दिव्य शिला के संग

इस आलोकित क्षण में हम क्या पा जाते हैं, वही समझ सकता है जो पूर्ण समर्पण में है।

गिरिराज जी के परिक्रमा मार्ग में, जहाँ से हटने को मन नहीं करे, समझ लो कुछ तो दिव्य दर्शन की अनुभूति हो रही है

Surrender

Jai ShreeNathji Prabhu 🙏

Jai Shree RadheKrishn 🙏

श्री कृष्ण चरणों में समर्पित यह जीवन यात्रा,

श्रीनाथजी ठाकुरजी की कृपा पात्र;

यहीं है आख़िरी मंज़िल इस जीव आत्म की; कहीं और भटकने की ज़रूरत अब नहीं

जय श्री राधे कृष्ण 🙏

जहाँ श्री राधा कृष्ण लीला में डूब जाने को मन, शरीर, आत्मा और दिल करे, वो व्रज धाम, श्रीनाथजी ठाकुरजी की प्रिय लीला भूमि;

The 84 Kos of Divine Land which Appeared on Earth from Golok, at the request of Shree Radha, is where this soul will find the final rest;

the merging with the Presence of Thakurjee ShreeNathji; who permanantly resides on sacred Shri Govardhan, with Shree RadhaKrishn and all His Sevaks and Gwal Bals

Jai ShreeNathji Prabhu 🙏

Jai Shree RadheKrishn 🙏

श्रीनाथजी के साक्षात्कार जून २००५ में, उनके मुखारविंद, श्री गोवर्धन

वह भव्य, दिव्य व्रज भूमि, जो साक्षात गोलोक है, नेत्र और आत्म में शुद्धता होने से आलोकिकता महसूस होने लगे, तो समझिए श्रीजी की कृपा बरस रही है 🙏

श्री राधा, श्री कृष्ण-दिव्य प्रेम के पूर्ण प्रतीक इस पृथ्वी पर हमें एहसास दिलाते हैं, जागो और मुझ में समा जाओ, श्रीनाथजी ठाकुरजी जिनके संविलीन स्वरूप आज हमारे बीच हैं 🙏

Save Vrindavan

SAVE VRINDAVAN FROM THE GREED OF HUMANS:

Special strong laws is need of the hour. Already this sacred city has reached the point of no return. Few years more down the line and we will have a concrete jungle and heaps of waste littering all the divine vans. Yamunaji has already shrunk to the point of not being there.

#CMYogiAditynath #vrindavan

#CMYogiAditynath Stop trying to see #Vrindavan riding on your special #helicopters 🚁 and getting special darshans

#नरेंद्रमोदी #वृंदावन #मथुरा #Pmoindia

आज ७ जुलाई २०१९, वृंदावन में सूचना मिली की #CMYogiAditynath वृंदावन में पधार रहे हैं।

मीटिंग है और बाँके बिहारी जी के दर्शन के लिए जाएँगे।

सम्पूर्ण city को बंद कर दिया! रिक्शॉ तक को अंदर घूमने की अनुमति नहीं है। कई घंटों तक सब रोड बंद रहेंगे।

#CMYogiAditynath अगर आप VIP roads से आएँगे जाएँगे, शहर आपके लिए ख़ाली कर दिया जाएगा, आपको कैसे अन्दाज़ होगा की समस्या क्या हैं?

सुधार कैसे करेंगे?

फ़ालतू के projects पर budget ख़र्च करके आप समझते हैं आपकी duty पूरी हो गई?

शहर और तीर्थ की जो असल समस्या है, वहीं की वहीं रह जाती हैं।

क्या आपने कभी सोचा है की आप आपके VIP troup के साथ निकल जाते हैं, किंतु आप अभी नहीं जान पाते हैं, सत्य क्या है?

आज किन हालात में है यह पवित्र भूमि, जो श्री राधा कृष्ण का निवास है, जहाँ हर क़दम पर कोई लीला भूमि है?

वृंदावन आज इतने बुरे आक्रमण से जूझ रहा है, आप को कैसे पता चलेगा, आप कभी समझ ही नहीं सकते!

आक्रमण लालच में अंधे इंसान का है, जो इस पवित्र भूमि को लूटने पर तुले हैं।

#CMYogi

Please come down to the level of the common bhakt and try to see what is ailing my #Vrindavan.

Stop trying to see Vrindavan riding on your special #helicopters 🚁

Walk on the streets to know how you can truly help this dying #teerth

श्रीनाथजी #ठाकुरजी प्रभु आपको सद् बुद्धि देने की कृपा करें 🙏

ShreeNathji-Kesar Snan

Kesar Snan at ShreeNathji mandir-ज्येष्ठाभिषेक (स्नान-यात्रा)

ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा

Monday, 17 June 2019

आज ज्येष्ठाभिषेक है जिसे केसर स्नान अथवा स्नान-यात्रा भी कहा जाता है.

Shreenathjibhakti.org

Kesar Snan@ShreeNathji

श्री नंदरायजी ने श्री ठाकुरजी का राज्याभिषेक कर उनको व्रज राजकुंवर से व्रजराज के पद पर आसीन किया, यह उसका उत्सव है.

आज के दिन ही ज्येष्ठाभिषेक स्नान का भाव एवं सवालक्ष आम अरोगाये जाने का भाव ये हे की यह स्नान ज्येष्ठ मास में चन्द्र राशि के ज्येष्ठा नक्षत्र में होता है और सामान्यतया ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को होता है.

इसी भाव से स्नान-अभिषेक के समय वेदमन्त्रों-पुरुषसूक्त का वाचन किया जाता है. वेदोक्त उत्सव होने के कारण सर्वप्रथम शंख से स्नान कराया जाता है.

ऐसा भी कहा जाता है कि व्रज में ज्येष्ठ मास में पूरे माह श्री यमुनाजी के पद, गुणगान, जल-विहार के मनोरथ आदि हुए. इसके उद्यापन स्वरुप आज प्रभु को सवालक्ष आम अरोगा कर पूर्णता की.

श्रीजी प्रभु वर्ष में विविध दिनों में चारों धाम के चारों स्वरूपों का आनंद प्रदान करते हैं.

आज ज्येष्ठाभिषेक स्नान में प्रभु श्रीजी दक्षिण के धाम रामेश्वरम (शिव स्वरूप) के भावरूप में वैष्णवों को दर्शन देते हैं जिसमें प्रभु के जूड़े (जटा) का दर्शन होता है

इसी प्रकार आगामी रथयात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ के रूप में प्रभु भक्तों पर आनंद वर्षा करेंगे.

आज कैसे सेवा की जाती है :

पर्व रुपी उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को पूजन कर हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.

झारीजी में सभी समय यमुनाजल भरा जाता है. चारों समय (मंगला, राजभोग, संध्या व शयन) की आरती थाली में की जाती है.

गेंद, दिवाला, चौगान आदि सभी चांदी के आते हैं.

आज मंगला दर्शन में श्रीजी को प्रतिदिन की भांति श्वेत आड़बंद धराया जाता है.

मंगला आरती के उपरांत खुले दर्शनों में ही टेरा ले लिया जाता है और अनोसर के सभी आभरण व प्रभु का आड़बंद बड़ा (हटा) कर केशर की किनारी से सुसज्जित श्वेत धोती, गाती का पटका एवं स्वर्ण के सात आभरण धराये जाते हैं.

इस उपरांत टेरा हटा लिया जाता है और प्रभु का ज्येष्ठाभिषेक प्रारंभ हो जाता है.

सर्वप्रथम ठाकुरजी को कुंकुम से तिलक व अक्षत किया जाता है. तुलसी समर्पित की जाती है.

तिलकायत जी अथवा उपस्थित गौस्वामी बालक स्नान का संकल्प लेते हैं और रजत चौकी पर चढ़कर मंत्रोच्चार, शंखनाद, झालर, घंटा आदि की मधुर ध्वनि के मध्य पिछली रात्रि के अधिवासित केशर-बरास युक्त जल से प्रभु का अभिषेक करते हैं.

सर्वप्रथम शंख से ठाकुरजी को स्नान कराया जाता है और इस दौरान पुरुषसूक्त गाये जाते हैं. पुरुषसूक्त पाठ पूर्ण होने पर स्वर्ण कलश में जल भरकर 108 बार प्रभु को स्नान कराया जाता है. इस अवधि में ज्येष्ठाभिषेक स्नान के कीर्तन गाये जाते हैं.

स्नान का कीर्तन – (राग-बिलावल)

मंगल ज्येष्ठ जेष्ठा पून्यो करत स्नान गोवर्धनधारी l

दधि और दूब मधु ले सखीरी केसरघट जल डारत प्यारी ll 1 ll

चोवा चन्दन मृगमद सौरभ सरस सुगंध कपूरन न्यारी l

अरगजा अंग अंग प्रतिलेपन कालिंदी मध्य केलि विहारी ll 2 ll

सखियन यूथयूथ मिलि छिरकत गावत तान तरंगन भारी l

केशो किशोर सकल सुखदाता श्रीवल्लभनंदनकी बलिहारी ll 3 ll

स्नान में लगभग आधा घंटे का समय लगता है और लगभग डेढ़ से दो घंटे तक दर्शन खुले रहते हैं.

दर्शन पश्चात श्रीजी मंदिर के पातलघर की पोली पर कोठरी वाले के द्वारा वैष्णवों को स्नान का जल वितरित किया जाता है.

मंगला दर्शन उपरांत श्रीजी को श्वेत मलमल का केशर के छापा वाला पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर सफ़ेद कुल्हे के ऊपर तीन मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ धराये जाते हैं.

मंगला दर्शन के पश्चात मणिकोठा और डोल तिबारी को जल से खासा कर वहां आम के भोग रखे जाते हैं. इस कारण आज श्रृंगार व ग्वाल के दर्शन बाहर नहीं खोले जाते.

गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में आज श्रीजी को विशेष रूप से मेवाबाटी व दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.

राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता अरोगाया जाता है.

सखड़ी में घोला हुआ सतुवा, श्रीखण्ड भात, दहीभात, मीठी सेव, केशरयुक्त पेठा व खरबूजा की कढ़ी अरोगाये जाते हैं.

गोपीवल्लभ (ग्वाल) में ही उत्सव भोग भी रखे जाते हैं जिसमें खरबूजा के बीज और चिरोंजी के लड्डू, दूधघर में सिद्ध मावे के पेड़ा-बरफी, दूधपूड़ी, बासोंदी, जीरा मिश्रित दही, केसरी-सफेद मावे की गुंजिया, घी में तला हुआ चालनी का सूखा मेवा, विविध प्रकार के संदाना (आचार) के बटेरा, विविध प्रकार के फलफूल, शीतल के दो हांडा, चार थाल अंकुरी (अंकुरित मूंग) आदि अरोगाये जाते हैं.

इसके अतिरिक्त आज ठाकुरजी को अंकूरी (अंकुरित मूंग) एवं फल में आम, जामुन का भोग अरोगाने का विशेष महत्व है.

मैंने पूर्व में भी बताया था कि अक्षय तृतीया से रथयात्रा तक प्रतिदिन संध्या-आरती में प्रभु को बारी-बारी से जल में भीगी (अजवायन युक्त) चने की दाल, भीगी मूँग दाल व तीसरे दिन अंकुरित मूँग (अंकूरी) अरोगाये जाते हैं.

इस श्रृंखला में आज विशेष रूप से ठाकुरजी को छुकमां मूँग (घी में पके हुए व नमक आदि मसाले से युक्त) अरोगाये जाते हैं.

(Details taken fromhttps:m.facebook.com/Shreenathjiprasad/)

राजभोग दर्शन का विस्तार

कीर्तन – (राग : सारंग)

जमुनाजल गिरिधर करत विहार ।

आसपास युवति मिल छिरकत कमलमुख चार ॥ 1 ll

काहुके कंचुकी बंद टूटे काहुके टूटे ऊर हार ।

काहुके वसन पलट मन मोहन काहु अंग न संभार ll 2 ll

काहुकी खुभी काहुकी नकवेसर काहुके बिथुरे वार ।

‘सूरदास’ प्रभु कहां लो वरनौ लीला अगम अपार ll 3 ll

साज – आज श्रीजी में श्वेत मलमल की पिछवाई धरायी जाती है जिसमें केशर के छापा व केशर की किनार की गयी है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज प्रभु को श्वेत मलमल का केशर के छापा वाला पिछोड़ा धराया जाता है.

श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) उष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.

हीरा एवं मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, तीन मोरपंख की चंद्रिका की जोड़ तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

श्रीकंठ में बघ्घी धरायी जाती है व हांस, त्रवल नहीं धराये जाते. कली आदि सभी माला धरायी जाती हैं. तुलसी एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, मोती के वेणुजी तथा दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट ऊष्णकाल का व गोटी मोती की आती है.

आरसी श्रृंगार में हरे मख़मल की एवं राजभोग में सोने की डांडी की आती है.

जय श्रीनाथजी प्रभु

ठाकुरजी श्री राधा कृष्ण की जय हो

🙏

Shreenathjibhakti.org

Kesar snan at ShreeNathji mandir

Shreenathjibhakti-Kesar snan at ShreeNathji mandir

ShreeNathji mandir on Giriraj Govardhan

ShreeNathji Mandir darshan on Shri Giriraj Govardhan parvat

श्रीनाथजी प्रभु का प्राचीन मंदिर, गिरिराज गोवर्धन पर।महिमा सुनिए, दिव्य दर्शन कीजिए

 

इस दुर्लभ विडीओ में देखिए मंदिर के वे दर्शन:

⁃ उस खिड़की का दर्शन कीजिए जहाँ से श्री ठाकुरजी श्री गुसाँई जी को दर्शन देते थे, अपने मंदिर से चंद्र सरोवर पर जब श्री गुसाँई जी ने ६ महीने विप्रयोग का अनुभव करा; उनकी बैठकजी है यहाँ पर

⁃ उस खिड़की का जहाँ श्रीनाथजी मोहना भंगी को दर्शन देते थे

⁃ उस खिड़की का जहाँ से श्रीनाथजी व्रज वासी को दर्शन देते थे बिलछु कुंड पर; और बिलछु कुंड पर अपनी ही युगल स्वरूप लीला का अनुभव करते थे

⁃ शैया मंदिर में श्री महा प्रभुजी की १५वीं बैठकजी के दर्शन कीजिए

⁃ उस शैया मंदिर का दर्शन कीजिए जहाँ श्री महाप्रभुजी श्री नवनीत प्रियाजी के साथ शयन करते हैं

⁃ दर्शन कीजिए वह सुरंग का जो सीधी नाथद्वारा जाती है, जहाँ से कहते हैं श्रीनाथजी नाथद्वारा से श्री गोवर्धन आते जाते थे

🙏

जय श्रीनाथजी प्रभु

#ShreeNathjiBhakti, #Govardhan