Vishram Ghat – Sandhya arti

Vishram Ghat Sandhya arti @ Shri yamunaji:

View from the opposite side on Shri Yamunaji, Mathura, Vraj Mandal

Sandhya Arti @ Vishram ghat, Mathura

 

 

Vraj Mandal-Vishram Ghat

Sandhya arti darshans at Vishram Ghat:

Vishram Ghat is the place where Shree Krishn rested after killing His mama Kans.

 

 

 

Visharam Ghat, Mathura, द्वारका दीश मंदिर से 30 मीटर की दूरी पर, नया बाज़ार में स्थित है। यह मथुरा के 25 घाटों में से एक प्रमुख घाट है। विश्राम घाट के उत्तर में 12 और दक्षिण में 12 घाट है। यहाँ अनेक सन्तों ने तपस्या की एवं अपना विश्राम स्थल बनाया। विश्राम घाट पर यमुना महारानी का अति सुंदर मंदिर स्थित है। यमुना महारानी जी की आरती विश्राम घाट से ही की जाती है। विश्राम घाट पर संध्या का समय और भी आध्यात्मिक होता है।

धार्मिक मान्यता

भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध कर इस स्थान पर विश्राम किया था इसलिये यहाँ की महिमा अपरम्पार है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाबलशाली कंस को मारकर ध्रुव घाट पर उसकी अन्त्येष्टि संस्कार करवाकर बन्धु−बान्धवों के साथ यमुना के इस पवित्र घाट पर स्नान कर विश्राम किया था। श्रीकृष्ण की नरलीला में ऐसा सम्भव है; परन्तु सर्वशक्तियों से सम्पन्न सच्चिदानन्द स्वयं भगवान श्रीकृष्ण को विश्राम की आवश्यकता नहीं होती है। किन्तु भगवान से भूले–भटके जन्म मृत्यु के अनन्त, अथाह सागर में डूबते–उबरते हुए क्लान्त जीवों के लिए यह आवश्यक ही विश्राम का स्थान है।

सौर पुराण के अनुसार विश्रान्ति तीर्थ नामकरण का कारण बतलाया गया है−

ततो विश्रान्ति तीर्थाख्यं तीर्थमहो विनाशनम्।

संसारमरू संचार क्लेश विश्रान्तिदं नृणाम।।संसार रूपी मरूभूमि में भटकते हुए, त्रितापों से प्रपीड़ित, सब प्रकार से निराश्रित, नाना प्रकार के क्लेशों से क्लान्त होकर जीव श्रीकृष्ण के पादपद्म धौत इस महातीर्थ में स्नान कर विश्राम अनुभव करते हैं। इसलिए इस महातीर्थ का नाम विश्रान्ति या विश्राम घाट है। इस महातीर्थ में स्नान एवं आचमन के पश्चात् प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु लोग व्रज मण्डल की परिक्रमा का संकल्प लेते हैं और पुन: यहीं पर परिक्रमा का समापन करते हैं।

http://bharatdiscovery.org/india/विश्राम_घाट_मथुरा

As a seeker on the Spiritual path..

As a seeker on the Spiritual Path..

abha shahra

The above photograph is from Vraj Mandal, at Shri Yamunaji.

It seems as if the sacred water of Yamunaji meets the sky, blending in the twilight.

In Hinduism, this is called the Sandhya time period, which is a very sacred time of the day. All  Divine Shaktis are Present at this time for the Sandhya Arti in Their respective mandir.

Jai Shreeji!