ShreeNathji Mukharvind Pragatya

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https://www.shreenathjibhakti.org/post/shreenathji-appearance-from-giriraj-govardhan-in-1409-ad

वैशाक वद (कृष्ण)ग्यारस

Tuesday, 16 April 2023

               ।। मुखारविंद प्रगट्य ।।

।। श्रीनाथजी के कमल आनन का प्रगटीकरण।।

वर्तमान समय में नाथद्वारा में स्थापित श्रीनाथजी का स्वरुप (प्रतिमा) पवित्र व्रज भूमि में स्थित पावन श्री गोवर्धन पर्वत पर प्रकट हुआ था। श्रीनाथजी अपने भक्तों की दैवीय आत्माओं को जागृत करने में सहायता करने के लिए यहां पर प्रकट हुए थे।

1478 ईसवी (संवत 1535) में वैशाख वद (कृष्ण) ग्यारस के दिन शतभिषा नक्षत्र में गुरुवार के दिन अभिजीत मूहूर्त दोपहर 12.40 से 1.00 बजे के बीच, के दौरान जब उनका मुखारविंद प्रकट हुआ, उस समय उन्होंने गांव के वरदानयुक्त लोगों को अपना दिव्य दर्शन दिया।

 श्रीकृष्ण की इच्छा के अनुसार उसी दिन परंतु अभिजीत मूहूर्त अर्थात् रात्रि 12.40 से 1.00 बजे के बीच श्रीवल्लभ आचार्य भी चंपारण नामक एक अन्य गांव में आग के एक गोले में प्रकट हुए। यह गांव वहां से कुछ दूरी पर स्थित है। श्री वल्लभाचार्य उस अवधि के दिव्य गुरु थे। इस अवधि के दौरान गिरिराज गोवर्धन पर सभी मूल ग्वाल-बाल, जो वहां पर उनके मूल अवतार श्रीराधाकृष्ण के साथ उपस्थित थे, ने भी श्रीकृष्ण की लीला को पूर्णता प्रदान करने के लिए इस पृथ्वी पर जन्म लिया। इसमें उनके अष्टचाप कवि भी शामिल है। (इसका विस्तृत विवरण बाद में किया गया है)

श्रीराधाकृष्ण की प्रसिद्ध दैवीय लीलाओं में से एक लीला गिरिराज गोवर्धन को सात दिनों तक अपने बाएं हाथ की कनिष्ठिका पर सात दिनो तक उठा कर रखना सम्मिलित है। यह लीला इस बात को दर्शाती है कि किस प्रकार श्री कृष्ण ने इंद्र देव के अहंकार को नष्ट कर दिया एवं विश्व के समक्ष यह प्रदर्शित किया कि वह सर्वोच्च शक्तिमान हैं।

श्री कृष्ण का यह स्वरुप गोवर्धन लीला के समापन के पश्चात वापस गिरिराजजी पर स्थापित हो गया। इस प्रसिद्ध वार्ता को हिंदुओं के सभी पवित्र पुस्तकों में वर्णित किया गया है। 

कलियुग में श्रीनाथजी के प्रकट होने की भविष्यवाणी का विवरण पवित्र ग्रंथ गर्ग संहिता के गिरिराज खंड में पहले ही प्रस्तुत किया गया है।

‘‘कलियुग के 4800 वर्षों के बाद सभी लोग यह देखेंगे कि श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत की कंदरा से निकलेंगे एवं श्रृंगार मंडल पर अपने लोकोत्तर स्वरुप का प्रदर्शन करेंगे। सभी भक्त कृष्ण के इस स्वरुप को श्रीनाथ पुकारेंगे। वह सदैव ही लीला में लीन रहेंगे एवं श्री गोवर्धन पर क्रीड़ा करेंगे।’’

श्रीनाथजी श्री कृष्ण का वही स्वरुप है, जिसने द्वापर युग में इस लीला को मूर्त रुप प्रदान किया था। वह एक बार पुनः १४वीं शताब्दी, 1409 ईसवी में उसी गिरिराज से प्रकट हुए थे, जिसे हम आज श्रीनाथजी स्वरुप के रुप में जानते हैं।

श्रीनाथजी श्रीराधाकृष्ण के पूर्ण स्वरुप हैं। वह श्रीराधा, श्रीकृष्ण एवं उनके दोनो ललन स्वरुप को स्वयं में संजोए हुए हैं।

श्रीनाथजी ‘उनकी’ जीवंत दैवीय शक्ति हैं, जो हमारे जगत में आज भी निवास करते हैं।

इन्हें इनके भक्त प्यार से देव दमन, इंद्र दमन, नाग दमन भी कहते हैं। व्रजवासियों में प्रचलित इनका पूरा नाम ‘श्री गोवर्धननाथजी’ था।

प्रेम वत्सल भक्त इन्हें ‘श्रीजी बाबा’ भी कहते हैं।

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जय हो आज के पवित्र दिवस की 🙏🙏

जय श्रीजी प्रभु 🙏🙏

जय श्री गोवर्धन नाथ 🙏🙏

जय श्री राधा कृष्ण 🙏🙏

ठीक उसी दिन वहां से सैकड़ो मील दूर चम्पारण्य (छत्तीसगढ़) में श्री वल्लाभाचार्य जी (श्री महाप्रभुजी) का भी प्राकट्य हुआ था. 

इस तस्वीर में धूमर गाय श्रीजी को दुग्ध पान करा रही है, और सद्दु पांडे और भवाई को पहले दर्शन होते हैं।

Vraj Mandal Jhanki-Fulfil longing For Drishy of Divine Bhumi-6

Vraj Mandal Jhanki-Fulfil longing For Drishy of Divine Bhumi-6

 

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Vraj Mandal Jhanki-Fulfil longing For Drishy of Divine Bhumi-5

Vraj Mandal Jhanki-Fulfil longing For Drishy of Divine Bhumi-5

 

 

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ShreeNathji-MahaPrabhuji 21st Baithakji at BhandirVan

ShreeNathji-MahaPrabhuji 21st Baithakji at BhandirVan, Maant, Mathura, Vraj Mandal

Shri Bhandirvan Baithakji Number 21

Baithakji Charitr: (बैठकजी चरित्र)

अदेयदान दक्ष श्री महा प्रभुजी ने यहाँ श्रीमद् भागवदपारायण किया था।

यहीं पर श्री माध्व सम्प्रदाय के स्वामी व्यासतीर्थ जी को त्याग की महत्ता बतलाते हुए लक्षावधि सम्पत्ति का त्याग किया था

जय श्रीनाथजी प्रभु 🙏🙏

Here are some pictures displayed from my visit to the 21st  Baithak of Mahaprabhuji, which is located at BhandirVan, Maant, Mathura, Vraj Mandal

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MahaPrabhuji 21st Baithakji at BhandirVan, Maant, Mathura, Vraj Mandal

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MahaPrabhuji 21st Baithakji at BhandirVan, Maant, Mathura, Vraj Mandal

Baithakji Charitr: (बैठकजी चरित्र)

Baithakji-21

Vyastirth, a religious head of Madhva Sampradaya was living here with 10,000 disciples. When Shri Mahaprabhuji was in this area for Bhagavat discourses, Vyastirth approached and requested Shri Mahaprabhuji  to take over his position with all the disciples. He also offered him 10,000 Rupees.

Shri Mahaprabhuji told him that he would reply him next morning.

That night, the servants of Yamdut came and beat Vyastirtha. He asked for the reason and was told, You have the pride to think that you can give something to Shri Mahaprabhuji. Your words to Him was unbefitting. Go and grasp His feet, seek His protection.

The following morning, Vyastirth apologized to Shri Mahaprabhuji for his prideful words and prayed to make him His disciple. Shri Mahaprabhuji initiated him into the Path of Grace (Pushti Marg).

(This detail of the original varta about this Baithakji is taken from website:

http://www.vallabhkankroli.org/)

 Jai ShreeNathji prabhu

Pushtimarg Baithaks: Baithaks in Pushtimarg religion are holy places where Shri Vallabhacharya, the founder of Pushtimarg, narrated the Holy Bhagvad Katha. They are total 84 in number and spread all over the country. Mahaprabhuji had circled the whole of India three times and done sthapna of these various Baithaks. Each Baithak has its own particular Charitra (description).Baithaks are holy places where there is no Idol or Chitra (Picture); seva is done of Gaddi (Seating).

ShreeNathji Bhagwan’s Yatra..A poem

ShreeNathji

श्रीनाथजी की कृपा!

आँखों में अश्रु हैं..मन में आज प्रातःकाल से कुछ खलबली है!

कुछ भाव जो कविता के रूप में प्रस्तुत..
लम्बी हो गयी, पढ़ें ज़रूर 🙏

प्रभु श्रीनाथजी का प्राकट्य हुआ १४०९ 1409 गिरिराज कंदरा से-
५२३८ 5238 वर्ष बीतने पर, श्री राधाश्री कृष्ण एक बार फिर पधारे श्रीनाथजी स्वरूप में।

क़रीब २६० वर्ष गिरिराजजी पर व्रज वासीन से दिव्य लीला खेल करने के पश्चात,
१६६९ 1669 में श्रीनाथजी उठ चले प्रिय गिरिराज से,
एक भक्त को दिया वचन पूर्ण करने पहुँचे सिंहाड (नाथद्वारा) १६७२ 1672 में।

२ वर्ष, ४ महीने, ७ दिन वे रथ में चले,
इतना भाव था श्रीनाथजी का, अपनी भक्त और सखी अजबा के लिए;

जैसे श्री गुसाँई जी ने भविष्यवाणी करी थी, १६७२ में अटक गया (रुका) श्रीनाथजी का रथ मेवाड़ के एक पिपर के नीचे,
गंगाबाई से श्रीजी ने संदेश पहुँचाया;
“यह, मेरी प्रिय भक्त अजब की जगह है, बनाओ मेरी हवेली यहीं पर;
रहूँगा कई अरसे तक यहाँ,पूरा होगा मेरी प्रिय अजबा को दिया वचन,
तुम सब भी अवस्था अपनी करो यहीं अग़ल बग़ल।

हवेली बनी शानदार, एक दिव्य गोलोक ठाकुर बालक के लायक,
सभी व्यवस्था और सेवा, शुरू हुई, श्री गुसाँई जी के बताए अनुसार।

इतिहास बताता है, आख़िरी संवाद हुआ गंगा बाई के साथ।
शुशुप्त हो गयी शक्ति फिर-
बाहरी लीला खेल पृथ्वी वासी से शायद पूर्ण हो गए, प्रभु भी कुछ काल को भीतर समा गए।
सैकड़ों वर्ष यूँ ही बीते और एक बार फिर वक़्त आया दिव्य बालक श्रीनाथजी प्रभु के जागने का,
और गोलोक में मची हलचल;
भेजा अंश पृथ्वी लोक को इस आदेश के साथ, ‘जाओ लीला पूर्ण हो ऐसे करो श्रीजी की मदद’

अंश ख़ुद को पहचाने, फिर प्रभु को जागता है, ‘चलो ठाकुरजी समय आ गया, वापस हमें चलना है,
जल्दी जल्दी लीला पूर्ण कर लो, गोलोक को प्रस्थान करना है।

नन्हें से बालक हमारे प्यारे प्रभु श्रीजी जागे जो वर्षों से हो गए थे गुप्त!
“अरे, कहाँ गए मेरे नंद बाबा, यशोदा मैया, मुझे यहाँ छोड़ व्रज वासी सखा हो गए कहाँ लुप्त”?

अंश ने विनम्रता से समझाया, हाथ जोड़ प्रभु को याद दिलाया, ‘श्रीजी बाबा, समय आ गया गोलोक वापस पधारना है,
पृथ्वी के जो कार्य अधूरे हैं, पूर्ण कर वापस हमें चले जाना है’।

किंतु, नन्हें ठाकुरजी बाहर आकर रह गए आश्चर्य चकित;
” मेरी हवेली इतनी शानदार होती थी, ये क्या हुआ,
इतनी टूटी फूटी कैसे हो गयी, कितना अपवित्र वातावरण है!
और यह कौन पृथ्वी वासी हैं जो मेरे उपर दुकानें लगा कर बैठे हैं,
क्या लोग भूल गए अंदर किसका वास है”

श्रीनाथजी प्रभु को समझने में कुछ वक़्त लग गया,
और अंश को बताना ही पड़ा,
‘प्रभु कुछ भाव में कमी आ गयी है, इन्हें माफ़ कर दीजिए,
सूझ बूझ हर इंसान की लालच के कारण कम हो गयी है,
उन्हें उनके कर्मों पर छोड़ दीजिए;
हमें कई कार्य पूरे करने हैं उसमें आप हमारा मार्गदर्शन कीजिए’.

‘गिरिराज गोवर्धन कर रहा है आपका इंतज़ार,
लीला के शुशुप्त अंश सर झुकाए आपके दर्शन को तरस रहे हैं इतने साल;
श्रीजी, शुरू करो प्रस्थान,
ऐसा हमें तरीक़ा सुझाएँ किसी का ना हो नुक़सान’;

श्रीजी पहुँचे गिरिराज जी पर,
किंतु यह क्या!
“यहाँ भी यही हालात हैं, गोवर्धन को भी नहीं छोड़ा
इन पृथ्वी वासी ने मेरे गिरिराज को भी क़ब्ज़ा कर इतना अपवित्र कर दिया;
चलो, मेरे गोलोक अंश चलो, मैं तुम्हें बताता हूँ,
मुझे भी अब जल्द से जल्द पृथ्वी से प्रस्थान करना है,
व्रज वासी हो, या फिर नाथद्वारा वासी;
लालच ने आँख पे पर्दा डाल दिया है,
जब पवित्रता ही नहीं भाव में, यहाँ अब मेरी ज़रूरत नहीं;
इन्हें रुपया बटोरने दो; मुझे यहाँ से मुक्त कर मेरे गोलोक वापस ले चलो”।

🙏 आभा शाहरा श्यामा
श्रीजी प्रभु की सेवा में, हमेशा

श्रीनाथजी को ६११ (611) वर्ष बीत गए,
श्रीनाथजी बाबा हम पृथ्वी वासी पर कृपा करे हुए हैं!

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ShreeNathji leela: Darshans sakshatkar at Shri Girirajji Mukharwind – Shree Nath Ji Bhakti

Shree Nath Ji Bhakti

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— Read on https://www.shreenathjibhakti.org/post/shreenathji-leela-shree-thakurjee-darshans-sakshatkar-at-shri-girirajji-mukharwind

Surrender

Jai ShreeNathji Prabhu 🙏

Jai Shree RadheKrishn 🙏

श्री कृष्ण चरणों में समर्पित यह जीवन यात्रा,

श्रीनाथजी ठाकुरजी की कृपा पात्र;

यहीं है आख़िरी मंज़िल इस जीव आत्म की; कहीं और भटकने की ज़रूरत अब नहीं

जय श्री राधे कृष्ण 🙏

जहाँ श्री राधा कृष्ण लीला में डूब जाने को मन, शरीर, आत्मा और दिल करे, वो व्रज धाम, श्रीनाथजी ठाकुरजी की प्रिय लीला भूमि;

The 84 Kos of Divine Land which Appeared on Earth from Golok, at the request of Shree Radha, is where this soul will find the final rest;

the merging with the Presence of Thakurjee ShreeNathji; who permanantly resides on sacred Shri Govardhan, with Shree RadhaKrishn and all His Sevaks and Gwal Bals

Jai ShreeNathji Prabhu 🙏

Jai Shree RadheKrishn 🙏

श्रीनाथजी के साक्षात्कार जून २००५ में, उनके मुखारविंद, श्री गोवर्धन

वह भव्य, दिव्य व्रज भूमि, जो साक्षात गोलोक है, नेत्र और आत्म में शुद्धता होने से आलोकिकता महसूस होने लगे, तो समझिए श्रीजी की कृपा बरस रही है 🙏

श्री राधा, श्री कृष्ण-दिव्य प्रेम के पूर्ण प्रतीक इस पृथ्वी पर हमें एहसास दिलाते हैं, जागो और मुझ में समा जाओ, श्रीनाथजी ठाकुरजी जिनके संविलीन स्वरूप आज हमारे बीच हैं 🙏

Shri Vallabh Acharya 22nd Baithakji at Maan Sarovar- Vraj

 

Shri Vallabh Acharya 22nd Baithakji at Maan Sarovar, Mathura

 

Here are some pictures displayed from my visit to the 22nd Baithak of Mahaprabhuji, located at Maan Sarovar,opposite Yamunaji, Maant, Mathura, Vraj Mandal.

Baithakji Charitr: (बैठकजी चरित्र)

Shri Mahaprabhu Vallabhachayra stayed for three days at Maan Sarovar discussing the Shrimad Bhagavat.

Once, Damala awoke in the middle of the night and noticed that his guru was missing.

A few hours later, Shree Krishn appeared before Damala who exclaimed, “Today I am certainly blessed to have your supreme vision. “

Shree Krishn than told Damala, “Today, Shrew Radha has become very displeased with me.”

Later, Shree Radha came to meet Thakurjee and Their reuinon was re established.

Damala and Shri Mahaprabhuji had the sight of this divine pastime. All of this transpired while the other Vaishnavas were deep in sleep.

 

Shri Maha Prabhuji 22 Baithakji at Maan Sarovar

Shri Maha Prabhuji 22 Baithakji at Maan Sarovar
Shri Maha Prabhuji 22 Baithakji at Maan Sarovar

Shri Maha Prabhuji 22 Baithakji at Maan Sarovar

Divine Taamal Vraksh

Shri Maha Prabhuji 22 Baithakji at Maan Sarovar

Jai ShreeNathji Prabhu 🙏

Jai Shree RadheKrishn 🙏

What are Pushtimarg Baithaks?

What are Pushtimarg Baithaks?

Baithaks in Pushtimarg religion are pavitr places where Shri Vallabhachary, the founder of Pushtimarg, narrated the Pavitr granth Shrimad Bhagvadji Katha.

It was almost always under the Chonkar vraksh of a Vat vraksh with an adjacent Kund. (water body)

They are total 84 in number and spread all over the country.

Mahaprabhuji had circled the whole of India three times and done sthapna of these various Baithaks.

Each Baithak has its own particular Charitr (description).

Baithaks are holy places where there is no Idol or Chitr (Picture); seva is done of Gaddi (Seating).

There are several Baithaks of Shri Vitthalnathji Gusaiji also. Many are in the same place as Shri Vallabh Achary. Other’s by themselves wherever he went and rested.

Jai ShreeNathji Prabhu 🙏

Save Vrindavan

SAVE VRINDAVAN FROM THE GREED OF HUMANS:

Special strong laws is need of the hour. Already this sacred city has reached the point of no return. Few years more down the line and we will have a concrete jungle and heaps of waste littering all the divine vans. Yamunaji has already shrunk to the point of not being there.

#CMYogiAditynath #vrindavan

#CMYogiAditynath Stop trying to see #Vrindavan riding on your special #helicopters 🚁 and getting special darshans

#नरेंद्रमोदी #वृंदावन #मथुरा #Pmoindia

आज ७ जुलाई २०१९, वृंदावन में सूचना मिली की #CMYogiAditynath वृंदावन में पधार रहे हैं।

मीटिंग है और बाँके बिहारी जी के दर्शन के लिए जाएँगे।

सम्पूर्ण city को बंद कर दिया! रिक्शॉ तक को अंदर घूमने की अनुमति नहीं है। कई घंटों तक सब रोड बंद रहेंगे।

#CMYogiAditynath अगर आप VIP roads से आएँगे जाएँगे, शहर आपके लिए ख़ाली कर दिया जाएगा, आपको कैसे अन्दाज़ होगा की समस्या क्या हैं?

सुधार कैसे करेंगे?

फ़ालतू के projects पर budget ख़र्च करके आप समझते हैं आपकी duty पूरी हो गई?

शहर और तीर्थ की जो असल समस्या है, वहीं की वहीं रह जाती हैं।

क्या आपने कभी सोचा है की आप आपके VIP troup के साथ निकल जाते हैं, किंतु आप अभी नहीं जान पाते हैं, सत्य क्या है?

आज किन हालात में है यह पवित्र भूमि, जो श्री राधा कृष्ण का निवास है, जहाँ हर क़दम पर कोई लीला भूमि है?

वृंदावन आज इतने बुरे आक्रमण से जूझ रहा है, आप को कैसे पता चलेगा, आप कभी समझ ही नहीं सकते!

आक्रमण लालच में अंधे इंसान का है, जो इस पवित्र भूमि को लूटने पर तुले हैं।

#CMYogi

Please come down to the level of the common bhakt and try to see what is ailing my #Vrindavan.

Stop trying to see Vrindavan riding on your special #helicopters 🚁

Walk on the streets to know how you can truly help this dying #teerth

श्रीनाथजी #ठाकुरजी प्रभु आपको सद् बुद्धि देने की कृपा करें 🙏